
घर का कोना कोना सूना है
ह्रदय मे तम की वीरानी है
चाहुओर दीप उजियारा है
अपनी दीवाली काली है
रहता था अँधेरा जो मेरे मन मे
उतर आया है घर आँगन मे
हर अटारी दीप सजे, औ' रंगोली है
अपना तो मन भींगा, आँखे गीली है
चहुँ ओर धूम धडाका, शोर मचा है
लक्ष्मी की सवारी आई है
अपने घर मे गहन सन्नाटा
अभी अभी हुई अन्तिम विदाई है
अभिषेक आनंद - पुराने पन्नों से (दीवाली : जब बड़े पापा के स्वर्गवास हुआ था)
ह्रदय मे तम की वीरानी है
चाहुओर दीप उजियारा है
अपनी दीवाली काली है
रहता था अँधेरा जो मेरे मन मे
उतर आया है घर आँगन मे
हर अटारी दीप सजे, औ' रंगोली है
अपना तो मन भींगा, आँखे गीली है
चहुँ ओर धूम धडाका, शोर मचा है
लक्ष्मी की सवारी आई है
अपने घर मे गहन सन्नाटा
अभी अभी हुई अन्तिम विदाई है
अभिषेक आनंद - पुराने पन्नों से (दीवाली : जब बड़े पापा के स्वर्गवास हुआ था)
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