वृक्ष
तुम इतने निष्ठुर क्यों हो
अनजानी, अनचाही लताएँ
उग आती हैं जो पास तुम्हारे
प्यार से उन्हें
गले लगते हो
परन्तु
हवा के झोकों से
वर्षा के वेग से
तुम्हारे अपने
पतित है जो भूमि पर
उनसे इतनी अपेक्षा
क्यों दिखाते हो ।
अभिषेक आनंद - पुराने पन्नों से...
No comments:
Post a Comment