Thursday, November 27, 2008

विषवमन बनाम राज ठाकरे

कहा है तू राज
कहा गई तेरी आवाज
जल रही है मुंबई
जल रहा है ताज
आतंकवादियो ने दिखाई है
तुझे तेरी औकात

निरीहों पे तू चिल्लाता है
कहर उनपर बरपाता है
तोड़ रहा अखंडता को
राष्ट्र मे नई सीमाये बनता है
जब आन पड़ी विपदा ख़ुद पर
चूहे की तरह बिल मे दुबक जाता है

मुंबई मे विध्वंश मचा है,
कहा है तेरी नवनिर्माण सेना?
ध्वंश का तू साथी है
विषवमन तेरा हथियार
दक्कन मुज्जहिद्दीन ने
दिखा दी है तेरी औकात

Friday, August 22, 2008

मेरे हिस्से टूटी छानी

सोंधी खुशबू मिटटी वाली
भरी हुई कांच की प्याली
फागुन की मतवाली चाले
गूंज रही भौरों की बोली
मेरे हिस्से टूटी छानी, एक दर की दिवार सही
चंदन वाला वन उसको दे
कुबेर वाला धन उसको दे
मन्दिर की प्रतिमा उसको लिख
मस्जिद की गरिमा उसको लिख
मालिक पर्व अभावो वाला, पीडा का त्यौहार मुझको दे
यह सारा आकाश उसको दे
माँ का प्यार उसको दे
बचपन का संसार उसको लिख
जिंदगी का व्यापार उसको लिख
मेरे हिस्से बिखरे आंसू, जज्बातों का व्यापार सही
इन्द्र का सिंहासन उसको दे
एरावत का आसन उसको दे
कैलाश का वास उसको लिख
मानसरोवर का प्रवास उसको लिख
मौला मेरे हिस्से बासी रोटी, एक अदद अचार सही