मेरी कविताएँ, मेरा संसार, कागज पर उकेरे गए मेरे दिल के अहसास,
खाली वक्त के मेरे साथी, मेरे एकांत के सखा,
वो आवाज जो कोई सुन न सका,
जिसे किसी को सुना ना सका.....
Sunday, May 11, 2008
सन्नाटे की आवाज
सन्नाटा अच्छा लगता है शहर के वीराने मे आसमां मे छाई हो धुंध भरी बदली थकने लगे पाँव जब क्षितिज को पाने मे सन्नाटा अच्छा लगता है रात के स्यांह अंधेरों मे अजनबी हो जाती हैं साँस अपनी ही आवाज जब घुटने लगे सीने मे सन्नाटा अच्छा लगता है...
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