Sunday, May 11, 2008

सन्नाटे की आवाज

सन्नाटा अच्छा लगता है
शहर के वीराने मे
आसमां मे छाई हो
धुंध भरी बदली
थकने लगे पाँव जब
क्षितिज को पाने मे
सन्नाटा अच्छा लगता है
रात के स्यांह अंधेरों मे
अजनबी हो जाती हैं साँस
अपनी ही आवाज जब
घुटने लगे सीने मे
सन्नाटा अच्छा लगता है...

अभिषेक आनंद - पुराने पन्नों से

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