
मुझको मत बंधो बन्धन मे
उड़ने दो उन्मुक्त गगन मे
प्रीत की हर कसमें झूठी
जीवन की हर रस्में झूठी
मेरे अंतस के शब्द भी झूठे
झूठ की मेड न बंधो
रहने दो मुझको विजन वन मे
बरिशो मे भीगते सपने
मुट्ठी भर दाना चुगते अपने
सडकों पर रेगता बचपन
बचपन मे भेद न डालो
उड़ने दो उन्मुक्त गगन मे
अभिषेक आनंद
उड़ने दो उन्मुक्त गगन मे
प्रीत की हर कसमें झूठी
जीवन की हर रस्में झूठी
मेरे अंतस के शब्द भी झूठे
झूठ की मेड न बंधो
रहने दो मुझको विजन वन मे
बरिशो मे भीगते सपने
मुट्ठी भर दाना चुगते अपने
सडकों पर रेगता बचपन
बचपन मे भेद न डालो
उड़ने दो उन्मुक्त गगन मे
अभिषेक आनंद
4 comments:
मुझको मत बंधो बन्धन मे
उड़ने दो उन्मुक्त गगन मे
बहुत बढ़िया धन्यवाद
धन्यवाद महेंद्र जी और नाहर भाई आप हमारे साथ यूं ही जुड़े रहे तो मैं भी आपकी आशा पर खरा उतरने का सदा प्रयास करूँगा...
Abhishekji,
Mere blog par ane ke liye dhnyavad sveekaren.Bandhan kavita ke bhav ...shabd chayan..sabhee kuchh achchhe hain.Badhai
Abhishekji,
Mere blog par ane ke liye dhnyavad sveekaren.Bandhan kavita ke bhav ...shabd chayan..sabhee kuchh achchhe hain.Badhai
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