नववर्ष स्वागत है तुम्हारा
हत्या, भय संशय औ'
अराजकता की गोद मे
डूबा है जग सारा
नववर्ष स्वागत है तुम्हारा
राजनीत के सेज पर
सज रही नित नई बिसते
अस्त हो रही व्यवस्थाये
धूमिल हुआ उत्साह सारा
नववर्ष स्वागत है तुम्हारा
आग लगी जेपी के सपनों को
उनकी अपनी ही संतानों से
नीरो चैन की बंशी बजाता
जल रहा प्रान्त सारा
नववर्ष स्वागत है तुम्हारा
दिन के सन्नाटे मे
गूंजता झिन्गुरों की झंकार
आतंक की बेडियों मे
जकडा है जग सारा
नववर्ष स्वागत है तुम्हारा
अभिषेक आनंद - नववर्ष के आगमन पर लिखी गई कविता