Sunday, May 11, 2008

मेरा प्यार


मेरा प्यार
तेरे लिए
शांत सागर की तरह
स्थिर
ओस की बूंदों की तरह चुपचाप
बरसा करता है
कभी कभी
लहरों की तरह
चंचल हो जाता है
भावनाओं के आवेश मे
उफनता है
पर मंजील से पहले
किनारों से टकरा कर
बिखर जाता है
और पुन: शांत हो जाता है
शांत
सागर की तरह
मेरा प्यार

अभिषेक आनंद - पुराने पन्नों से

2 comments:

Anonymous said...

This is first comment by mysef... I like it n it was published in Kadambani when I was in I. Sc.... now i m a computer professional bt even now I like it... Waiting for ur comments

Anonymous said...

Awsm