Wednesday, June 4, 2008

रात है काली

भूख और रोटी समय की सवाली
गरीबी बन गई सबसे बड़ी गाली
जन्म नही ले पाती है लड़की
भ्रूण की किस्मत मे है नाली
भय, आतंक, अपहरण और हत्या
हर तरफ़ भरे है मवाली
चारो तरफ़ मॉल भरा है
मेरे सामने है टूटी थाली
कहा ख़रीदे सुख और सपने
हर किसी की जेब है खाली
दिन का सूरज धुंधला दिखता
अभी आने वाली रात है काली

2 comments:

श्रद्धा जैन said...

जन्म नही ले पाती है लड़की
भ्रूण की किस्मत मे है नाली
भय, आतंक, अपहरण और हत्या
हर तरफ़ भरे है मवाली
चारो तरफ़ मॉल भरा है
मेरे सामने है टूटी थाली
कहा ख़रीदे सुख और सपने
हर किसी की जेब है खाली
दिन का सूरज धुंधला दिखता
अभी आने वाली रात है काली


कमाल लिखते हो अभिषेक आप
ये कुछ पंक्तियाँ पढ़ कर आपकी कलम कि ताक़त को जाना अच्छा लगा

Unknown said...

धन्यवाद श्रद्दा जी, आपलोगों का उत्साहवर्धन से हमे कुछ अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलाती है
कोशिश करूँगा की आगे भी आपकी कसौटी पर खरा उतरु