Thursday, November 27, 2008

विषवमन बनाम राज ठाकरे

कहा है तू राज
कहा गई तेरी आवाज
जल रही है मुंबई
जल रहा है ताज
आतंकवादियो ने दिखाई है
तुझे तेरी औकात

निरीहों पे तू चिल्लाता है
कहर उनपर बरपाता है
तोड़ रहा अखंडता को
राष्ट्र मे नई सीमाये बनता है
जब आन पड़ी विपदा ख़ुद पर
चूहे की तरह बिल मे दुबक जाता है

मुंबई मे विध्वंश मचा है,
कहा है तेरी नवनिर्माण सेना?
ध्वंश का तू साथी है
विषवमन तेरा हथियार
दक्कन मुज्जहिद्दीन ने
दिखा दी है तेरी औकात

2 comments:

Jimmy said...

nice blog keep it up

visit my site its a very nice Site and link forward 2 all friends

shayari,jokes,recipes and much more so visit

http://www.discobhangra.com/shayari/

पूनम श्रीवास्तव said...

Abhishekji,
Mere blog par ane aur tareef ke liye dhanyavad.Asha hai bhavishya men bhee ap mera utsah badhayenge.
Apkee kavita men bilkul sahee likha hai,Itnee badee ghatnaen ho jane ke bad bhee akhir kahan chhipe hain raj thakre?