तुममे गर है अहसास कही
बन कर दिखलावो उनकी बैसाखी
टूट गई असमय जिनकी
चिरसंचित बुढापे की लाठी
जुड़ना है तो जुडो उनसे
बिछड़ गए जंग मे अपने जिनसे
रो रो कर जिनकी आँखे है लाल
पूछ लो यारो, जरा उनका भी हाल
मंच पर खड़ा हो चिल्लाते हो
सुंदर शब्दों से बहलाते हो
आँखों से चंद कतरे बहा कर
ढेर सारी तालियाँ पाते हो
पर क्या मिलता है उनको
मिट गए जिनके अरमान
बच्चे ढूंढ़ रहे पिता को
पत्नी माथे का सम्मान
शहादत कहो या कुर्बानी
मरना तो बस मरना है
बंद हो जाती है
जोशों की हर रवानी
टूट जाते है जाने कितने
बच्चे, बुढे और परिवार
शहीदों का गर है मान तुझे
सच्चों की है पहचान तुझे
ख़ुद को बनावो कुछ ऐसा
उनके मन को पहचान सको
बच्चों को अपना मान सको
बोलो नही कर के दिखालावो
बिछड़ गया जो, मिल नही सकता
महसूस न हो ऐसा, कर के दिखालावो
शहीदों की सच्ची श्रध्दाजलि है
कुछ अलग कर के दिखालावो
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