Wednesday, June 11, 2008

माँ

ना जाउँ मैं यमुना तीरे
ना ही राधा के गावं
प्यारी लगे माँ मुझको
तेरे आंचल की छाव

ना जाउँ पत्थर पूजने,
बाग मे चुनने फूल
भली लगे माँ मुझको
तेरे चरणों की धुल

मां, तेरी महिमा है आपर
जनता है सब संसार
गणपति ने मन इसको
पाया प्रथम पूज्य अधिकार

तेरे आँचल मे माँ
मेरा संसार बसा है
तेरे चरणों मे माँ
मेरा जीवन आधार छुपा है

Wednesday, June 4, 2008

रात है काली

भूख और रोटी समय की सवाली
गरीबी बन गई सबसे बड़ी गाली
जन्म नही ले पाती है लड़की
भ्रूण की किस्मत मे है नाली
भय, आतंक, अपहरण और हत्या
हर तरफ़ भरे है मवाली
चारो तरफ़ मॉल भरा है
मेरे सामने है टूटी थाली
कहा ख़रीदे सुख और सपने
हर किसी की जेब है खाली
दिन का सूरज धुंधला दिखता
अभी आने वाली रात है काली

खुशनसीबी

खुशनसीबी प्रश्नचिंह बन जाती है
जब कोई कहता है
बड़े खुशनसीब है आप
बहन नही है...


झूठ
झूठ
सच का अपभ्रंस है
इसमे भी सच्चाई का अंश है

Tuesday, June 3, 2008

उल्लू

जनता

तुम हो ही इसी काबिल

हर दिन अपमान पाते हो

बस एक दिन पूजे जाते हो

Monday, June 2, 2008

अरमान

बड़े अरमान से बुने थे
सपने जो जीवन के
स्याह परछाइयों मे
पुरा अरमान होता रह गया
मिटटी की सोंधी महक
धुल मे गुजरे साल थे
खेतिहर कहलाने की चाह मे
गैरमजरुआ भूमि पर
धान होता रह गया
जिन्दगी की धुप छाह
गुजरे जिसकी आश मे
किश्तों मे पुरा वह
मकान होता रह गया
सबकुछ लुटा कर चाह थी
जिन्दगी को जानने की
कहने सुनाने मे ही
सुबह से शाम होता रह गया